1
नीलू की मां उसे लेकर स्कूल से घर लौट रही है।
नीलू – मां, तुझे पता है, आज टीचर ने क्या सिखाया हमें?
मां – हां बता तो।
नीलू – टीचर ने कहा, पृथ्वी को बुखार आ रहा है।
मां – क्या?
नीलू – बुखार, पृथ्वी बीमार हो गई है।
मां – अच्छा?
नीलू – हां मां, पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।
मां – हुं।
नीलू – टीचर ने कहा, इससे हम सब भी बीमार हो जाएंगे।
मां – ऐसा क्या?
नीलू – टीचर बोलीं, बारिश नहीं होगी, गर्मी बढ़ेगी, सब जगह रेगिस्तान हो जाएगा। सब जीव-जंतु और हम, मर जाएंगे। क्या ऐसा होगा, मां?
मां – चल हाथ-मुंह धोकर खाने बैठ। इसकी बात बाद में करेंगे। देख तो घर में कौन आए हैं?
नीलू – कौन मां?
मां – गांव से तेरे दादाजी। अभी उन्हें तंग मत कर, खाने के बाद मिल लेना।
2
नीलू, उसके माता-पिता, और दादाजी बात कर रहे हैं।
पिता – प्रणाम बाबूजी!
दादा – जीते रहो बेटा!
पिता – ऐसे अचानक चले आए। चिट्ठी भेज दी होती, तो लेने आ जाता।
दादा – नहीं बेटा, तुम इतने व्यस्त रहते हो। अपना क्या है, खाली बैठे हैं। गांव में हाल बुरा है बेटा।
पिता – क्यों क्या हुआ बाबूजी।
दादा – मालूम नहीं पड़ता बेटा। सब कुछ बदल रहा है। किसी का कुछ ठिकाना नहीं रहा। मार्च-अप्रैल में ही बारिश हो जाती है। और इतनी तेज बारिश कि कटाई के लिए तैयार फसल खराब हो जाती है। और जून-जुलाई में जब सारा खेत जोतकर तैयार बैठे होते हैं कि बारिश आए और बुआई शुरू करें, तब बारिश कहां है? जानते हो पिछले साल कब बारिश आई? ठेठ सितंबर में। ऐसा कभी होते देखा है? मई-जून की बारिश मार्च और सितंबर में हो रही है। कुछ समझ में नहीं आता कि क्या हो रहा है। ऐसे में कोई खेती करे तो कैसे? मौसम का अनुमान ही नहीं हो पाता।
पिता – हुं। मौसम सचमुच बदल रहा है। अखबार, टीवी में भी इसकी खूब चर्चा हो रही है।
नीलू – टीचर भी यही कहती थी। मौसम बदल रहा है। पृथ्वी बीमार हो रही है। पापा, पृथ्वी क्यों बीमार हो रही है?
दादा – कलियुग आ गया है। और क्या!
3
नीलू, परिवार समेत टीवी देखने बैठी है।
टीवी से - "ह" चैनल में आपका स्वागत है। मैं हूं स्वाती पंचाल। अब सुनिए “ह” चैनल की तेज-तर्रार खबरें।
चीन में असमय की बारिश से भारी बाढ़ आ गई है। पानी बीजिंग शहर में घुसने से लाखों लोगों के लिए संकट पैदा हो गया है। राहत कार्य जोरों पर है।
दादाजी – कलियुग, घोर कलियुग। यहां बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं, वहां प्रलय मचा हुआ है।
टीवी से स्वाती – वैज्ञानिक इस असमय की बारिश से परेशान हैं। उनका कहना है कि यह पृथ्वी की जलवायु के बदलने का एक और प्रमाण है।
और देश के अधिक निकट, समाचार है कि गंगोत्री का हिमनद पिघलने लगा है। बर्फ की बड़ी-बड़ी सिल्लियां नीचे की ओर बह रही हैं, जिससे अलमोड़ा, देहरादून, ऋषीकेश आदि निचले शहरों को खतरा पैदा हो गया है। गंगा का जल-स्तर बढ़ने के भी संकेत हैं। इसे भी वैज्ञानिक पृथ्वी के गरमाने से जोड़कर देख रहे हैं।
मेरे साथ इस समय स्टूडियो में मौसम विभाग की अध्यक्ष डा प्रेमलता परमार हैं। उनसे समझने की कोशिश करते हैं कि यह सब क्या हो रहा है। प्रेमलता जी, स्टूडियो में आने के लिए धन्यवाद। अच्छा बताइए, यह सब हो क्या रहा है। एक ओर बाढ़, एक ओर सूखा, कहीं बर्फ पिघल रही है, कहीं बेमौसम की बारिश...
प्रेमलता – हां, इसका तो डर था ही। वैज्ञानिक पहले से ही चेतावनी दे रहे हैं, कि मानव-क्रियाकलापों से पृथ्वी गरमाने लगी है। ये सब मौसमी परिवर्तन इसी के परिणाम हैं।
स्वाती – प्रेमलता जी, किन मानव क्रियाकलापों के ये परिणाम हैं?
प्रेमलता – पेड़ों का अंधाधुंध काटा जाना, धुंआं उगलते कारखानों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि, शहरों का फैलाव, वाहनों की रेल-पेल... ये ही सब इसके कारण हैं। इन सबसे वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा बढ़ रही है, जो सूर्य से आनेवाली गरमी को पृथ्वी पर ही रोक लेती है। यह कार्बन डाइआक्साइड पृथ्वी को एक चादर की तरह लपेट लेती है और उसे गरम करती जाती है। इससे ध्रुवों और पहाड़ों की बर्फ पिघलने लगी है, समुद्र का स्तर ऊपर उठ रहा है, तटीय इलाके डूब रहे हैं, वर्षा की परिपाटी बदल गई है। जहां पहले बारिश होती थी, वहां नहीं हो रही है, जहां नहीं होती थी, वहां हो रही है। हमारे देश में भी यही सब देखा जा रहा है। पिछले साल कृषि पैदावार इसी कारण चौपट हो गई थी। असमय की बरसात से पकी फसल नष्ट हो गई। और अगली बुआई के लिए बारिश ही नहीं आई...
दादाजी – बिलकुल ठीक... घोर कलियुग... शिव, शिव...
4
नीलू स्कूल में बैठी है।
नीलू – मैंम आपने पिछली कक्षा में कहा था कि पृथ्वी को बुखार हो गया है और इससे हम सब भी बीमार हो जाएंगे। पृथ्वी को कैसे ठीक किया जा सकता है, कौन-सी दवा पीने से पृथ्वी ठीक हो सकती है, ताकि हम भी बीमार होने से बच सकें?
टीचर – नीलू, तुमने बहुत अच्छा सवाल पूछा है। पर पृथ्वी का बुखार उतारना आसान नहीं है। उसका बुखार कई सालों की हमारी करतूतों का परिणाम है। पर हम अपनी आदतें बदल सकते हैं और ऐसे काम कर सकते हैं, जिनसे पृथ्वी को आराम मिले।
नीलू – वे कौन से काम हैं?
टीचर – तुम में से हर बच्चा सभी वस्तुओं का किफायती उपयोग करे। बिजली का, पानी का, भोजन का, कागज का, कपड़े का। इनमें से किसी का भी अपव्यय मत करो। ये सब पृथ्वी से चीजें निकालकर बनाई जाती हैं। यों समझ लो कि पृथ्वी की छाती फाड़कर। यदि हम कम वस्तुओं से काम चलाएं, तो पृथ्वी को कम चोट पहुंचेगी। अच्छा बताओ, चोट लगने पर हम क्या करते हैं?
बच्चे – चोट पर मरहम लगाते हैं।
टीचर – शाबाश! अच्छा बता सकते हो, पृथ्वी के लिए सबसे अच्छा मरहम क्या है?
नहीं मालूम? ठीक है, मैं ही बता देती हूं। वह है पेड़-पौधे। यदि पृथ्वी का शरीर पेड़-पौधों से ढका रहे, तो उसे चोट नहीं लगती, और उसके घाव भर जाते हैं। तुम सबको अपने घर के पास कम से कम एक पेड़ तो लगाना ही चाहिए। और केवल लगाना ही नहीं है, उसकी देखभाल तब तक करनी चाहिए, जब तक वह बड़ा न हो जाए।
5
नीलू और उसके साथी, पेड़ लगा रहे हैं।
नीलू – इसे कहां लगाएं?
शालिनी – क्या यह स्थान ठीक रहेगा? यह रास्ते से कुछ हटकर है।
विपिन – हां यह अच्छी जगह है। लाओ यहां मैं गड्ढा खोदता हूं।
जावेद – नीलू, लाओ तो पौधा... संभलकर।
शबनम – यह लो मैं पानी छिड़कती हूं। कैसे कुम्हला सा गया है बेचारा।
ऐंथनी – आओ इसके चारों ओर इन ईंटों को सजा दें, ताकि हमारा पौधा सुरक्षित रहे।
नीलू – अब रोज स्कूल से आकर इसे हम पानी देंगे। याद रहे, यह पृथ्वी का मरहम है। यह पेड़ पृथ्वी का बुखार उतारेगा, और हम सबको बीमारी से बचाएगा।
Monday, June 1, 2009
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35 comments:
BAHUT HI GAYAN VARDHAK SHAILI MEIN YEH NATAK AAPNE LIKHA H. NISHCHIT HI. YEH NATAK HAR NUKAD PAR KHELA JA SAKTA H. HUM AAPKI IZAZAT SE ESE JARURU KHELENGE. AISE AUR NATAK BHI YADI AAPKE PAAS H TO JARURUR BHEJNA JI.
DHANYAVAD
RAMESH SACHDEVA
DIRECTOR
HPS SR. SEC. SCHOOL, SHERGARH - HARYANA
hpsshergarh@gmail.com
रमेश सचदेवा जी: मेरी पूरी इजाजत है इसे आपके स्कूल में मंचन करने के लिए। और नाटक लिखने पर उन्हें यहां जरूर पोस्ट करूंगा। कुदरतनामा में आने के लिए आभार।
AWESOME SIR.I BELIEVE STRONGLY AFTER READING IT THAT IT WILL OPEN THE EYES OF EVERY HUMAN BEING.N THEY WILL TRY TO LOVE THIS EARTH WHICH IS DIRECTLY PROPOTIONAL TO THIER OWN BENIFIT.MAY GOD BLESS YOU FOR THIS AWESOME JOB...
IF U PERMIT ME THAN I WOULD LIKE TO PLAY THIS ACT IN MY SCHOOL AT 5TH OF THIS YEAR2012.THANKS
IT IS THE MOST INTERESTING PLAY . I JUST LOVED IT
IT IS THE BEST PLAY I HAVE EVER SEEN . THIS PLAY ACTUALLY OPENS THE EYES OF HUMAN KIND AND ITS JUST FABULOUS , AWESOME AND I THINK ALL THE ADJECTIVES ARE LESS FOR THIS TREMENDOUS ONE . KEEP IT SIR . REALLY IT'S AWESOME SIR
ITS REALLY A AWESOME PLAY ,I SIMPLY LOVE IT
Wow ! I Just Loved itt mahn ! :D Thanks a tonn for posting this NATAK :P :) Thnku very much !
Sarah says
Oh ! ThankYu for posting dis play....
Though, I'm forteen i still like this play !
Aashi said....
Thanks for this play.. ! I really like it ! And sarah.... yu all saw dis one ? :P
Mam ko school mai batayenge ! :D
WOW Nice Play man !
- Zoya <3
Niiiccee VICHAR...
--- Santhana kriona
this helped me a lot. after opening 15 website it's THE BEST:)
Its awesome for group play
Heads off
Salute!!
It is very beautiful play . It must incest the people to save the environment .
Sunita Sharma
LT Gurukul Public School HAMIRPUR (HP )
Thanks i 'm gonna do this in my school... Very good story by the way!!!
Vry nice...ausome..
आदरणीय महोदय ,
आपकी कोशिश तो अच्छी है .पर यह एक अच्छा लेख या कहानी बन सकती है यह बाल नाटक नहीं है . न ही इसमें कोई मंचीय तत्व हैं न ही मनोरंजन .हाँ सूचनाएं जरूर अच्छी दी गयी हैं जो बच्चों के लिए उपयोगी हैं. शुभकामनाओं के साथ .
डा० हेमंत कुमार
It's a really good story i also inspired by this thank you
Yes . I also agree .
Very good script.It will surely inspire students.Thanks a lot.
पहली बार आपके नाटक को पढने का सौभाग्य मिला, बच्चों के लिये सहजता से लिखा है आपने . यदि थोडी नाटकियता और डाली जाये तो अच्छी प्रस्तुती होगी
KY is natak ko me NGO me bachcho see performance karva sakta hu
Bahut acha laga Iss kahani ko dekhe
Behtreen script sir
Its a best script related to global warming. Its really inspiring us to save our earth. We will also perform this drama in our school.
Good story
good dearama
सर क्या मैं इसे अपने स्कूल में बच्चों के द्वारा प्रस्तुत कर सकता हूँ।अगर आप इजाजत दे तो???
Thanks sir itna badhiya script likhane liye
Kya Mai iska Manchanda karwau.
dear sir just i want your permission to use youe bal natak dharti ko bukhar aa gaya h i my text book . if your agree please send me your permission. Its a relay very good massive nartak. thanks and regard dr. n.k.dubey my mob no. 8949482959 .
ये नाटक मुझे बहुत ही अच्छी लगी । मैं
इसे अपने कॉलेज प्रोजेक्ट वर्क में प्रस्तुत करना चाहता हूं ,आपका आशीर्वाद रहा तो मैं इसे प्रस्तुत करूंगा ।
अगर आप सक्रिय हैं तो मुझे अनुमति दें ।
धन्यवाद sir !
Very big pome
I loved it although i am 9 but is is amazing ! My teacher tought my this topic and she gave me this story to read ! Lovley story
Regards,
Kanak
6th class
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