Saturday, June 27, 2009
पहाड़ों का जहाज याक
याक का नाम तो अधिकतर लोगों ने सुना होगा परंतु बहुत कम लोग जानते होंगे कि यह जानवर एक समूचे देश (तिब्बत) के जीवन का आधार है।
याक (बास ग्रुनियन्स) भैंस से संबंधित प्राणी वर्ग का पशु है। जंगली याक एक भीमकाय जानवर है जो 4.5 मीटर लंबा और 2 मीटर ऊंचा होता है। याक तिब्बत की ऊंची पहाड़ियों में रहता है। भारत में लद्दाख प्रदेश में भी याक पाए जाते हैं। जिन पहाड़ी प्रदेशों में याक रहता है, वहां बहुत कम पानी बरसता है और बेहद ठंड पड़ती है। ऐसे कठोर वातावरण को झेलने में मदद करती है याक की शारीरिक बनावट। लंबे खुरदुरे बाल उसके पूरे शरीर को ढके रहते हैं, जिससे उसे बर्फीली हवा और हिम दोनों से सुरक्षा मिलती है। भारी भरकम शरीर के बावजूद याक उंची पहाड़ियों पर आसानी से चढ़ सकता है। इसमें उसके पैरों के सख्त खुर सहायता करते हैं। मादा और नर दोनों के सींग लंबे, फैले हुए और सिरे पर ऊपर की ओर मुड़े हुए होते हैं।
याक के परिवेश को देखेंगे तो आपको चारों तरफ बर्फ ही बर्फ मिलेगा। आप सोचेंगे कि ऐसे परिवेश में जहां हरियाली नाममात्र के लिए भी नहीं होती, याक क्या खाकर जिंदा रहता होगा। परंतु बहुत ही सहनशील होने के कारण वह गर्मी के मौसम में सिर उठाने वाली घास और बाकी समयों में काई खाकर जीवित रहता है। जमीन पर कहीं-कहीं बिखरी नमक खाने का भी उसे शौक है। जब पानी के स्रोत ठंड़ से जम जाते हैं तो प्यास बुझाने के लिए याक हिम खाने लगते हैं। भोजन की तलाश में सर्दियों में याक पहाड़ियों से उतरकर निचली घाटियों में चले आते हैं। इतना सब होने पर भी सर्दी में बहुत से याक भूख और ठंड़ के कारण मरते भी हैं।
दूसरे मवेशियों की तरह याक भी झुंड़ में रहते हैं। उनका झुंड बिन बाप के परिवार की तरह होता है, क्योंकि सांड साधारणतः अकेले रहता है। परंतु मादाएं और बछड़े 20-200 तक के झुंड़ बनाकर चलते हैं। बछड़ों की देखभाल और झुंड के नेतृत्व का दायित्व मादा ही संभालती है। बर्फ में याक एक कतार में अपने आगे चलने वाले याक के खुरों से बने गढ्ढों में अपने पांव रखकर चलते हैं। जब याक के झुंड का सामना भेड़िए के झुंड से होता है, तो याक बछड़ों को बीच में रखकर घेरा बना लेते हैं।
पतझड़ में याक प्रजनन करते हैं। अप्रैल में मादा एक बछड़े को जन्म देती है। इस महीने में नई उगी घास पर्याप्त मात्रा में भोजन प्रदान करती है। नवजात बछड़ा पैदा होते ही सक्रिय हो जाता है।
युगों से याक को तिब्बतियों द्वारा पालतू जानवर के रूप में काम में लाया जाता रहा है। याक के शरीर का हर अंग किसी न किसी उपयोग में आ सकता है। ऊंचाई चढ़ने की याक की अद्भुत क्षमता के कारण उससे पहाड़ों की कठिन ढलानों में सामान ढोने का काम लिया जाता है। यह कहना शायद गल़त नहीं होगा कि याक के बगैर हिमालय के कठिन वातावरण में यात्रा और व्यापार असंभव होता। तिब्बतियों का बहुत अच्छा मित्र है याक।
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भारत के वन्य जीव,
याक
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7 comments:
बहुत सीधा सादा जानवर है -मैं शिमला ऐमन इस पर आरूढ़ हुआ था -बड़ा डर लगा पर यह तो पूरा गाय है
याक के बारे में अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद।
बहुत सुंदर और उपयोगी जानकारी।
इनके जहाँ का मर्द तो पूरा निठल्ला है।
वहाँ शायद फेमिनिस्ट आन्दोलन नहीं पहुँचा।
एक अच्छी जानकारी दी आप ने.
धन्यवाद
याक के बारे में अच्छी उपयोगी जानकारी .
अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद।
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