Monday, June 22, 2009
पक्षी जो मुहावरा बन गया
डोडो मोरिशियस में पाया जानेवाला मुर्गी से बड़े आकार का भारी-भरकम, गोलमटोल पक्षी था। उसकी टांगें छोटी एवं कमजोर थीं और शरीर के वजन को बड़ी मुश्किल से संभाल पाती थीं। उसके पंख हास्यास्पद हद तक छोटे थे और उड़ने के लिए नाकाफी थे। अपने बचाव के लिए यह पक्षी न तो तेज दौड़ सकता था न उड़ ही।
मोरिशियस हिंद महासागर में स्थित एक टापू है जिसका क्षेत्रफल १,८५० वर्ग किलोमीटर है। सोलहवीं सदी में पुर्तगाली नाविक अपने जहाजों में रसद एवं पानी भरने के लिए इस टापू पर नियमित रूप से लंगर डालते थे। उन्होंने ही इस पक्षी की जानकारी सबसे पहले अन्य लोगों तक पहुंचाई। कहा जाता है कि उन्होंने डोडो पक्षी को मुगल दरबार में भी पेश किया था और दरबारी चित्रकार ने इस विचित्र और बेढंगे पक्षी का चित्र भी बनाया था।
इस पक्षी का नाम डोडो पुर्तगालियों का ही दिया हुआ है। उन्होंने पाया कि यह पक्षी अत्यंत काहिल और निरापद है। जब नाविक उसे मारने की कोशिश करते थे तो वह बचने का प्रयत्न नहीं करता था और खड़े-खड़े मारा जाता था। देखने में भी यह पक्षी सुंदर न था। इसलिए उन्होंने उसका नाम डोडो रखा जिसका अर्थ है जड़ मूर्ख।
पुर्तगाली मोरिशियस में १५०० ई को पहुंचे और केवल १८० वर्षों में, यानी १६८० ई में, डोडो की नस्ल समाप्त हो गई। इसका मुख्य कारण पुर्तगालियों द्वारा मांस के लिए उसका शिकार था। इसके अलावा पुर्तगालियों द्वारा मोरिशियस में छोड़े गए कुत्ते, बिल्ली, चूहे, सूअर आदि पालतू जानवरों से तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण भी डोडो की संख्या में कमी आई। डोडो के कोई प्राकृतिक शत्रु नहीं थे। शत्रु के अभाव में और भोजन की प्रचुरता के कारण डोडो अत्यंत सुस्त हो गया था। अतः कुत्ते, बिल्ली आदि के आक्रमणों को वह झेल न सका। इसके साथ ही चूहे, सूअर आदि उसके अंडों और चूजों को नुकसान पहुंचाते थे।
वर्षों पहले मर-मिटकर भी डोडो हमारी जुबान पर बार-बार आता है, क्योंकि उसका नाम एक मुहावरा बन गया है, जिसका अर्थ है काफी समय से मरा हुआ या काहिल और बुद्धू।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
बेचारा, बेसे हम भी तो डोडो की तरह से ही है, हमारे नेता जो चाहे करे, हम चुपचाप सह रहे है.
धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
DODO ke bare mein bahut rochak jaankari hai-dhnywaad.
boring
bekar
Post a Comment