Saturday, June 6, 2009

दुनिया का सबसे तेज धावक चीता


यद्यपि चीता बिल्ली परिवार का सदस्य है, पर वह अन्य बिल्लियों से अनेक दृष्टि से भिन्न है। सच तो यह है कि शारीरिक गठन एवं आदतों में वह कुत्तों से बहुत मिलता-जुलता है। अन्य सभी बिल्लियां अपने पंजों के नाखूनों को आवश्यकता न रहने पर ऊपर की ओर उठाकर मोड़कर रख सकती हैं, पर चीता ऐसा नहीं कर सकता और उसके नाखून सदा आगे की ओर ही निकले रहते हैं। कुत्ते भी अपने नाखूनों को मोड़कर नहीं रख सकते।

देखने में चीता तेंदुए के जैसा होता है, पर वह अधिक छरहरा होता है। उसके पैर भी अधिक लंबे होते हैं और सिर अपेक्षाकृत छोटा। तेंदुए के शरीर की चिकत्तियां छोटी तथा गुच्छों में सजी होती हैं, लेकिन चीते की चिकत्तियां बड़ी-बड़ी और अलग-अलग होती हैं। चीते के शरीर का ऊपरी भाग पीला और निचला भाग सफेद होता है। दोनों आंखों के कोनों से एक-एक काली पट्टी मुंह के दोनों सिरों तक जाती हैं। चीते की लंबी पूछ पर भी चिक्तियां होती हैं, जो पूंछ के अंतिम हिस्सों में आपस में जुड़कर काले छल्लों में बदल जाती हैं। शावक शुरू में धूसर रंग के होते हैं और उनकी पीठ पर चांदी के रंग का अयाल होता है। यह अयाल दो-चार महीनों में झड़ जाता है।

चीते की शिकार करने की पद्धति अत्यंत रोमांचक होती है। शुरू-शुरू में वह छिप-छिपकर शिकार के पास पहुंचने की कोशिश करता है, पर जल्द ही खुले मैदानों में खड़े शिकार बननेवाले प्राणी उसे देख लेते हैं और चौकड़ियां भरते हुए भाग खड़े होते हैं। तब चीता भी अपने छिपने की जगह से निकल आकर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उनका पीछा करने लगता है। तीन ही सेकेंड में वह अपनी रफ्तार 75 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ा सकता है, जो तेज से तेज मोटकार के लिए भी संभव नहीं है। पर उसमें अधिक दूरी तक दौड़ने की क्षमता नहीं होती और यदि शिकार तुरंत ही पकड़ में न आए तो वह पीछा करना छोड़ देता है। आमतौर पर चीता गेजेल, इंपाला, वाटरबक, शुतुरमुर्ग आदि प्राणियों का शिकार करता है।

एक समय चीता भारत के मैदानी इलाकों में भी पाया जाता था, पर अब वह भारत से वलुप्त हो गया है। भारतीय चीता कृष्णसार, चिंकारा आदि मृगों का शिकार किया करता था। राजा-महाराजे उसे पकड़कर पालतू बना लेते थे और उससे इन मृगों का शिकार कराते थे। कहते हैं कि अकबर बादशाह के पास 1,000 पालतू चीते थे। चीते पालतू अवस्था में आसानी से प्रजनन नहीं करते। इसलिए उन्हें जंगल से ही पकड़कर लाना पड़ता है।

आज चीता केवल अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...
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परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया जानकारी दी है।आभार।

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