Wednesday, August 5, 2009

हिंद महासागर - एक अनोखा महासागर

हिंद महासागर एशिया के दक्षिण में अफ्रीका और आस्ट्रेलिया के बीच फैला हुआ है। उसका अधिकांश भाग पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में आता है। उसके उत्तरी छोर पर भारतीय उपमहाद्वीप है, दक्षिण में अंटार्टिका, पश्चिम में अफ्रीका, और पूर्व में इंडोनीशिया और आस्ट्रेलिया। पश्चिम में उसका पानी अतलांतिक महासागर में मिल जाता है, और पूर्व में प्रशांत महासागर में।

हिंद महासागर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है। अफ्रीका और आस्ट्रेलिया के बीच वह 10,000 किलोमीटर तक फैला है। उसका कुल क्षेत्रफल 7.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर है, जो सभी महासागरों के कुल क्षेत्रफल का 20 प्रतिशत है। हिंद महासागर की औसत गहराई 4 किलोमीटर है।

प्रशांत और अतलांतिक महासागर दोनों ध्रुवों को छूते हुए फैले हैं, पर हिंद महासागर केवल दक्षिण ध्रुव को स्पर्श करता है। उत्तर दिशा में वह जमीन से घिरा है।

हिंद महासगर में ही दुनिया का सबसे अधिक नमकीन सागर (लाल सागर) और सबसे अधिक गरम सागर (फारस की खाड़ी) स्थित हैं। भौगौलिक काल पैमाने की दृष्टि से हिंद महासागर एक युवा महासागर है, उसने केवल 3.6 करोड़ वर्ष पहले अपना वर्तमान रूप ग्रहण किया है।

इस महासागर में पानी का बहाव कुछ-कुछ विलक्षण ढंग से होता है। बाकी महासागरों में पानी साल भर एक ही दिशा में बहता है, पर हिंद महासागर में पानी का बहाव साल में दो बार दिशा बदलता है। गर्मियों में मानसूनी हवाओं के कारण पानी भारत की ओर बहता है, जबकि सर्दियों में, जब मानसूनी हवाएं उल्टी दिशा पकड़ लेती हैं, पानी अफ्रीका की ओर बहने लगता है।

विश्व की दो महानतम नदियां, ब्रह्मपुत्र और गंगा, हिंद महासागर में जल-समाधि लेती हैं। ये नदियां अपने साथ ढेर सारी गाद भी ले आती हैं, जो वे 2,000 किलोमीटर दूर स्थित हिमालय पर्वतमाला से ही ढोती आ रही होती हैं। इस गाद के कारण इन नदियों के मुहानों के आगे महासागर में अनेक टापू बन गए हैं।

2 comments:

Himanshu Pandey said...

हिंद महासागर के बारे में अच्छी जानकारी । एनसाइक्लोपीडिया की तरह बन रहा है आपका चिट्ठा ।

Science Bloggers Association said...

aur utni hi anokhi jaankari.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

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