Tuesday, August 11, 2009

खून का प्यासा पिस्सू


बहादुर से बहादुर आदमी भी मामूली-सा पिस्सू देखकर पसीना-पसीना हो जाएगा क्योंकि प्लेग महामारी इसी तुच्छ कीट की सवारी पर चढ़कर मनुष्यों में तांडव मचाती है।

पिस्सू की सैंकड़ों जातियां ज्ञात हैं। ये बिना पंखवाले छोटे कीट हैं जिनकी औसत लंबाई 2 मिलीमीटर होती है। पिस्सू गरम खूनवाले जीवों में परजीवी के रूप में रहकर उनका खून चूसते हैं। मनुष्यों के अलावा वे चूहों, पक्षियों, सूअरों, कुत्तों तथा अन्य जानवरों पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाते हैं।

उनके शरीर की रचना इस भूमिका के लिए खास उपयुक्त होती है। मेजबान जीव की खाल अथवा परों के बीच से आने-जाने में सहूलियत के लिए उनका शरीर दोनों बग़लों से चपटा होता है, यानी लंबाई और ऊंचाई की तुलना में उनकी चौड़ाई बहुत ही कम होती है। इस कारण वे दो बालों के बीच के कम फासले में से भी आसानी से गुजर सकते हैं। उनके शरीर पर बहुत से कांटे होते हैं जो बालों अथवा परों में उलझकर पिस्सू को मेजबान जीव के शरीर से गिरने नहीं देते। उनका चपटा शरीर अत्यंत कठोर होता है जो उन्हें मेजबान जीव द्वारा काटे या खुजलाए जाने से बचाता है। उनका मुंह त्वचा को भेदने और खून चूसने के लिए बना होता है।

पिस्सुओं का जीवन-चक्र काफी रोचक होता है। मादा पिस्सू मेजबान जीव के मल-मूत्र या उसकी मांद में इकट्ठी गंदगी में अंडे देती है। ये अंडे दो-चार दिनों में फूट जाते हैं। उनसे निकले डिंभक अंधे होते हैं। वे मल-मूत्र और गंदगी खाकर बढ़ते हैं। मौका मिलने पर अन्य छोटे कीटों का भी वे शिकार कर लेते हैं। समय आने पर ये डिंभक रेशम जैसे धागे से एक कोष बुनकर उसमें प्रविष्ठ हो जाते हैं। इस निष्क्रिय अवस्था में उनका आगे का विकास होता है। वयस्क कीट कोष से बाहर तभी निकलते हैं जब उन्हें कोई जीवित प्राणी का संकेत मिले। यह संकेत है उस प्राणी के चलने-फिरने से होनेवाले कंपन। इसे सुनते ही पिस्सू झट से कोष से निकल आते हैं और उस अभागे प्राणी का खून चूसने लगते हैं। इसी कारण से बहुत दिनों से खाली पड़े मकान में घुसने पर एकाएक पिस्सू निकल आते हैं। आप सोचते होंगे कि खाली मकान में पिस्सू कहां से आए। वास्तव में पिस्सू अपने कोषों में आपके ही इंतजार में बैठे थे!

पिस्सुओं की सबसे अधिक वीभत्स पहलू प्लेग जैसी भयंकर महामारियां फैलाने में उनकी भूमिका है। प्लेग महामारी से मनुष्य बड़ी तादाद में मरे हैं। चौदहवीं सदी में यूरोप में प्लेग ने ढाई करोड़ लोगों की जान ली थी। परंतु प्लेग मनुष्य पर आश्रित पिस्सुओं के कारण नहीं फैलता। प्लेग के लिए जिम्मेदार हैं चूहों के पिस्सू। प्लेग बीमारी सबसे पहले चूहों में फैलती है। इस बीमारी से जब चूहे बड़ी संख्या में मर जाते हैं, तब उनके पिस्सुओं को मजबूरन अन्य प्राणियों का खून चूसना पड़ता है। इन अन्य प्राणियों में मनुष्य भी होता है, क्योंकि मनुष्यों के मकानों में चूहे अनिवार्यतः पाए जाते हैं।

पिस्सुओं की एक खासियत है कूदने की उनकी अद्भुत क्षमता। दो मिलीमीटर लंबा पिस्सू 35 सेंटीमीटर लंबी और 20 सेंटीमीटर ऊंची कूद लगा सकता है, यानी अपनी लंबाई से 125 गुना दूर अथवा 100 गुना ऊंचा कूद सकता है। इसीलिए प्लेग के समय लोगों को दो फुट ऊंचे पलंग पर सोने की सलाह दी जाती है, ताकि पिस्सू उन तक न पहुंच पाएं। अपनी लंबी-लंबी टांगों और नदारद पंखों की मांसपेशियों की सहायता से पिस्सू यह आश्चर्यजनक कलाबाजी करता है।

अधिकांश विकसित देशों में पिस्सुओं का सफाया कम-से-कम घरों में से लगभग पूर्णतः हो गया है। वहां ऊंचे दर्जे की स्वच्छता होने के कारण पिस्सुओं के पनपने के लिए आवश्यक गंदगी नहीं होती। परंतु अधिकांश विकासशील देशों में अब भी सामुदायिक एवं घरेलू स्वच्छता निम्न स्तर की होने के कारण पिस्सुओं को अनुकूल वातावरण मिल जाता है। स्वच्छता की ओर अधिक ध्यान देकर हम भी इन पीड़ादायक जंतुओं से पिंड छुड़ा सकते हैं।

12 comments:

Ashok Pandey said...

हमारी जानकारी बढ़ी, आभार।

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

दिल्ली में एक जगह है जहाँ 542 पिस्सू एक साथ रहते हैं। उनके उन्मूलन की विधि पर एक लेख लिखें।

नेट डाउन है। मोबाइल से जोड़ कर भेज रहा हूँ क्यों कि 'पिस्सुओं' की समस्या अति गम्भीर है।

धन्यवाद।

बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण said...

गिरिजेश जी, पिस्सू उन्मूलन की विधि लेख में बताई गई है - साफ-सफाई बनाए रखना। पिस्सुओं के लार्वे गंदगी में पनपते हैं। यदि परिवेश को और घरों को साफ-सुथरा रखा जाए, तो वे नष्ट हो जाते हैं। विकसित देशों में रिहायशी इलाकों से पिस्सू लगभग विलुप्त हो चुके हैं क्योंकि वहां ऊंचे दर्जे की सफाई पाई जाती है।

Arshia Ali said...

Rochak jaankaaree.
Subramaniyam ji, aapki "Aasmaan ka rang Neelaa kyon" (http://sb.samwaad.com/2009/07/blog-post_29.html)aaj ke AMAR UJAALAA men prakashit huyi hai. Badhaayi Sweekaaren.
{ Treasurer-S, T }

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

Vistrit Jaankaari ke liye
आभार।

Anonymous said...

pankaj bhai be brave and say everything boldly

Unknown said...

sir muje pissu bohot katte hai...is ka koi ilaj bataye please...

Unknown said...

Pisu Insan Ko khate h to kya hota h kya upchar hota h

Unknown said...

Kya pulex irritans se kisi or prakar se nhi bcha ja sakta he

Unknown said...

हमारे पडोसी के घर के आंगण मे नारीयल के पेड पर तीन दिन पहले 20से 25bats आये है बहुत सारे पिस्सू आके काट रहे है.कृपया ऊनको नियंत्रित करणे के ऊपाय बताओ. प्रदीप चव्हाण, नंदुरबार, महाराष्ट्र

Unknown said...

पिस्सु को मैंने देखा ही नहीं है कैसे होते हैं

Unknown said...

Ghar Pe pissu aa gye jo caat rhe kaise bahar nikala jaaye plz upaay btaiye

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