Monday, July 27, 2009

दुनिया का सबसे बड़ा सांप अनाकोंडा


अनाकोंडा विश्व का सबसे बड़ा सांप माना जाता है। उसके विशाल आकार और आक्रामक स्वभाव को लेकर अनेक अतिशयोक्तिपूर्ण बातें कही गई हैं। इन मनगढ़ंत बातों के आधार पर बनी फिल्म "अनाकोंडा" अभी कुछ दिनों पहले काफी चर्चे में रही। इस फिल्म में इस सांप को काफी खतरनाक और मानवभक्षी दर्शाया गया है, जो सचाई से कोसों दूर है। आइए, इस विशाल सांप के बारे में कुछ विज्ञान-सिद्ध, सच्ची बातें जानें।

दिलचस्प बात यह है कि इस सांप का नाम अनाकोंडा एक तमिल शब्द से उपजा है और उसका अर्थ होता है "हाथियों को मारने वाला" (आनै (हाथी) + कोलरा (मारनेवाला) = अनाकोंडा)। पर कोई भी सांप हाथी को मार नहीं सकता, अनाकोंडा भी नहीं। इसलिए "हाथियों को मारने वाला" का अर्थ यही लेना होगा कि यह सांप अन्य सांपों से बहुत बड़ा होता है।

अनाकोंडा की औसत लंबाई 20 फुट होती है। पर बहुत से खोजी यात्रियों ने 150 फुट लंबे अनाकोंडा के होने की बातें कही हैं। उनके दावों में कितनी सचाई है, इसका पता लगाने के लिए अमरीका के राष्ट्रीय चिड़ियाघर ने कई साल पहले 30 फुट से ज्यादा लंबा अनाकोंडा लाने वाले को 5000 डालर का पुरस्कार घोषित किया था। इस पुरस्कार को आज तक किसी ने नहीं पाया है। इससे यह सिद्ध होता है कि इस सांप की लंबाई 20-25 फुट से अधिक नहीं होती और 100-150 फुट लंबे अनाकोंडा केवल खोजी यात्रियों के खयालों में होते हैं। इस दृष्टि से अनाकोंडा विश्व का सबसे लंबा सांप भी नहीं ठहरता क्योंकि भारतीय अजगर कभी-कभी उससे भी लंबा हो जाता है। पर अनाकोंडा निश्चय ही विश्व का सबसे भारी सांप है। उसके शरीर का घेराव आसानी से तीन फुट हो सकता है।

उसके हल्के हरे रंग के शरीर पर बड़े-बड़े काले धब्बे बने होते हैं। सिर पर नाक से लेकर गर्दन तक दो काली धारियां होती हैं। अनाकोंडा समस्त दक्षिण अमरीका में पाया जाता है, खासकर के अमेजन नदी के घने जंगलों में। अजगर के समान ही अनाकोंडा के शरीर के निचले भाग में गुदा-द्वार के पास पिछली टांगों के अवशेष-स्वरूप दो कांटे रहते हैं। ये मैथुन के समय मादा को उकसाने में काम आते हैं। यद्यपि अनाकोंडा भी अजगर के ही कुल का सांप है, पर मादा अनाकोंडा अजगर के समान अंडे नहीं देती बल्कि जीवित बच्चों को जन्म देती है। नवजात अनाकोंडा 2-3 फुट लंबे होते हैं। वन्य अवस्था में अनाकोंडा 40-50 साल जीवित रहते हैं। अमरीका के एक चिड़ियाघर में यह सांप 28 वर्ष जीवित रहा।

अनाकोंडा का अधिकांश समय पानी में बीतता है। वह धीमी गति से बहनेवाली नदियों और दलदलों में रहता है। तेज बहाववाली नदियां उसे पसंद नहीं हैं। सामान्यतः वह अकेले ही रहता है। बिरले ही 3-4 अनाकोंडा एक-साथ दिखते हैं। प्रत्येक अनाकोंडा का एक निश्चित शिकारगाह होता है जहां वह अन्य सजातीय सर्पों को आने नहीं देता।

अनाकोंडा सामान्यतः रात को सक्रिय रहता है। शिकार फंसाने के लिए वह छिछले पानी में बिना हिले-डुले लेटा रहता है। शरीर को पानी में डूबने से रोकने के लिए वह हवा निगल लेता है। किसी प्राणी के पानी पीने आने पर वह पानी से उछल कर उसे अपने मजबूत जबड़ों में पकड़ लेता है और अपने शरीर की कुंड़लियां उसके ऊपर डालकर उसे पानी में खींच लेता है। शिकार की मृत्यु पानी में डूबने अथवा कुंड़लियों के दबाव के कारण दम घुटने से होती है। अनाकोंडा द्वारा भींचे जाने से शिकार की हर हड्डी के चूर-चूर होने की बातें केवल किस्से-कहानियों में मिलती हैं और उनमें कोई सचाई नहीं है। वह मछली, छोटे-बड़े पक्षी, हिरण, सूअर, बड़े आकार के कृंतक (चूहे के वर्ग के जीव), पानी के कच्छुए और कभी-कभी मगर का शिकार करता है।

सभी सांपों के समान वह अपने शरीर के घेराव से कहीं बड़े शिकार को निगल सकता है। एक बार एक 25 फुट लंबे अनाकोंडा ने 6 फुट लंबा मगर निगल लिया था। इतना बड़ा शिकार खाने के बाद उसे हफ्तों तक खाने की आवश्यकता नहीं रहती। वह चुपचाप किसी सुरक्षित जगह कुंड़लियों के बीच सिर छिपाए पड़ा रहता है। कभी-कभी अनाकोंडा जमीन पर आकर भी शिकार करता है। जमीन पर वह धीमी गति से ही रेंग सकता है। उसे पानी के ऊपर निकल आई वृक्ष-शाखाओं में लेटकर धूप सेंकना भी अच्छा लगता है।

इस सांप की दृष्टि बहुत कमजोर होती है और वह काफी पास की चीजें ही साफ-साफ देख पाता है, यद्यपि उसके शिकार के हलचलों को वह तुरंत भांप लेता है। शिकार खोजने में उसकी तीव्र घ्राण शक्ति अधिक सहायक बनती है। अधिकांश सांपों के समान उसकी नाक के पास एक अन्य अवयव भी होता है जो शिकार के शरीर से उत्पन्न गरमी को ताड़ने में सहायता करता है। इसी से अनाकोंडा रात के अंधेर में भी शिकार खोज लेता है।

इतने बड़े और शक्तिशाली सांप के बारे में अनेक कहानी-किंवदंतियां बनना स्वाभाविक ही है। दक्षिण अमरीका के आदिवासी उसे देवता मानकर उसकी पूजा करते हैं। कुछ आदिवासी उसे अपना पूर्वज मानते हैं। आदिवासियों में यह धारणा भी प्रचलित है कि रात को अनाकोंडा एक नाव में बदल जाता है और उसके शरीर पर पाल जैसे अवयव बन जाते हैं।

जिस प्रकार भारत में अजगर के संबंध में यह धारणा काफी आम है कि वह मनुष्यों को पकड़कर निगल जाता है, दक्षिण अमरीका के लोग अनाकोंडा के संबंध में ऐसा मानते हैं। यह सही है कि कुछ मनुष्य इस विशाल सांप द्वारा मारे गए हैं, पर यह कहना कि वह उन्हें खाता भी है, कोरी कल्पना है। मनुष्य के कंधे की चौड़ाई इतनी अधिक होती है कि वह बड़े से बड़े अनाकोंडा के भी गले से नहीं उतर सकता। मनुष्य के साथ अचानक मुठभेड़ हो जाने पर घबराहट में अथवा आत्मरक्षा में उसकी कुंड़लियों में कुछ मनुष्य आए हैं और उनका दम घुटा है। इन मौतों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि यह सांप खाने के इरादे से मनुष्यों का शिकार करता है।

7 comments:

निर्मला कपिला said...

बहुत बडिया जानकारी है ये फिल्म वाले तो इतिहास बदल कर दिखा देते हैं फिर ये तो बेचारा एक छोटा सा जीव है आभार्

Udan Tashtari said...

बढ़िया जानकारी.

Himanshu Pandey said...

अच्छी जानकारी । धन्यवाद । फिल्म हमने देखी है - सच में बहुत बड़ा दिखता है ।

Alpana Verma said...

मनुष्य के कंधे की चौड़ाई इतनी अधिक होती है कि वह बड़े से बड़े अनाकोंडा के भी गले से नहीं उतर सकता--
Amazing fact!

-bahut achchee jankari.
dhnywaad.

Arvind Mishra said...

बहुत रोचक जानकारी ! मिथकों में तो अनाकोंडा लोक्नेस मान्स्टर बन गया है

P.N. Subramanian said...

सुन्दर जानकारी. अनाकोंडा के बारे में डिस्कवरी और नेशनल geographic में लगातार देखते आये थे.

MANISH KUMAR said...

which is the largest snakes in the world

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