अधिकांश कीट अंडे देने के बाद उन्हें भगवान भरोसे छोड़कर चले जाते हैं। अब एक ब्रिटिश कीटविद का कहना है कि तिलचट्टों की एक जाति अपने बच्चों को उसी प्रकार स्तनपान कराती है जैसे स्तनधारी।
न्यू साइंटिस्ट पत्रिका के अनुसार पेरिस्फेइरस नामक कुल का यह तिलचट्टा उष्णकटिबंधीय वनों में पाया जाता है। इसमें नर सामान्य तिलचट्टा जैसा ही होता है, पर मादाएं रामघोड़ी (सहस्रपादी) के समान दिखती है। छेड़े जाने पर वह रामघोड़ी के ही समान अपने लंबे शरीर को चवन्नी के आकार में गोल लपेट लेती है।
संग्रहालयों में रखे इस कीट के नमूनों में देखा गया है कि मादाओं के पैरों के साथ इनके बच्चे चिपके हुए हैं। ये बच्चे अंधे हैं जिससे पता चलता है कि ये स्वतंत्र रूप से जीवित नहीं रह सकते। इन बच्चों के मुंह की रचना नली के रूप में है। तिलचट्टों की 4,000 जातियां ज्ञात हैं, पर केवल पेरिस्फेइरस वर्ग में बच्चों का मुंह नली के आकार का होता है।
वयस्क मादाओं में उनके छह में से चार पैरों के आधार पर एक गर्त होता है जिसमें बच्चों का नलीनुमा मुंह एकदम फिट बैठता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तिलचट्टे के बच्चे मादाओं के शरीर में मौजूद इन गर्तों से पोषक द्रव चूसकर विकसित होते हैं।
Sunday, July 12, 2009
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4 comments:
सुंदर जानकारी. धन्यवाद.
नवीन एवं रोचक जानकारी.......आभार
रोचक जानकारी मिल गयी !
शुक्रिया !
dilchasp jaankaari
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