भारत में हर साल 50,000 लोग सांप के डसने से मरते हैं। इनमें से अधिकांश लोग नाग, करैत, दबोइया और फुर्सा, इन चार जहरीले सांपों के द्वारा काटे गए होते हैं। नाग का विष नाड़ी तंत्र को निष्क्रिय करता है, जबकि दबोइया और फुर्सा का विष खून पर असर करता है।
प्रत्येक नाग के मुंह में 200 ग्राम विष होता है। एक मनुष्य को मारने के लिए 20 ग्राम विष पर्याप्त है। दबोइए में 250 ग्राम विष होता है और एक व्यक्ति को मारने के लिए मात्र 70 ग्राम पर्याप्त है। फुर्सा यद्यपि छोटा सांप है (18 इंच) और उसमें मात्र 30 ग्राम विष ही होता है, पर एक मनुष्य को मारने के लिए 15 ग्राम विष पर्याप्त है। इसकी तुलना में नागराज के मुंह में 500 ग्राम विष होता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा विषैला सांप है, जो 15 मीटर की लंबाई प्राप्त करता है, जबकि नाग डेढ़-दो मीटर लंबा होता है। नागराज एक दुर्लभ सांप है जो पश्चिमी घाट के घने, नम वनों में और अंदमान निकोबार द्वीपों में पाया जाता है। इस बड़े सांप के काटने से कम लोग मरते हैं क्योंकि यह संख्या में बहुत कम है और यह मनुष्य के रहने के स्थलों से दूर रहता है। नागराज अन्य सांपों का भक्षण करता है।
नागराज के विपरीत नाग, करैत आदि विषैले सांप गांवों और खेतों के आसपास रहते हैं जहां मनुष्य का आनाजाना बहुत रहता है। ये सांप चूहे आदि छोटे जीवों को खाते हैं, जो भी मनुष्य की बस्तियों और खेतों के आसपास खूब होते हैं।
इन सबसे भी खतरनाक कुछ प्रकार के समुद्री सांप होते हैं जो नाग से पांच गुना अधिक घातक होते हैं। उनके विष का एक बूंद 5 मनुष्यों को हमेशा के लिए सुलाने के लिए पर्याप्त होता है। परंतु ये सांप अत्यंत शांत स्वभाव के होते हैं और जल्दी काटते नहीं है। उनके शिकार समुद्री मछुआरे बनते हैं। जब उनके जालों में ये सांप फंस जाते है और वे उन्हें हाथ से निकालकर बाहर फेंकने की कोशिश करते हैं या छिछले पानी में वे इन सर्पों को पैरों से अनजाने में रौंद देते हैं, तब वे उनके द्वारा डस लिए जाते हैं।
भारत में सर्पदंश की वारदातें बरसात के महीनों में सर्वाधिक होती हैं। इस समय सांपों के बिलों में पानी भर जाता है और सांपों को बाहर निकल आना पड़ता है। बरसात आते ही अधिकांश ग्रामीण लोग खेती के कामों में लग जाते हैं और उन्हें खुले में काम करना पड़ता है। बरसात पड़ते ही पेड़-पौधे और घास-फूस भी बहुत बढ़ जाते हैं और उनके बीच सांप दिखाई नहीं देते और लोग उन पर अनजाने में पैर रख देते हैं या उनका हाथ उन पर लग जाता है। भारत में गांवों में बहुत से लोग जमीन पर सोते हैं, इससे भी सांपों द्वारा काटे जाने की संभावना बढ़ती है।
सांप के काटने का एकमात्र इलाज प्रतिविष है जो सांप के विष से ही बनाया जाता है। यह सभी बड़े अस्पतालों में उपलब्ध रहता है। इसे खून के प्रवाह में सुई द्वारा पहुंचाना होता है, तभी डसे गए व्यक्ति की जान बच सकती है। बहुत से सांपों का विष मिनटों में अपना काम कर देता है, इसलिए दंशित व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाना निहायत जरूरी है। झाड़-फूक आदि में समय बर्बाद करने से उसकी जान चली जा सकती है।
Thursday, July 9, 2009
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3 comments:
umda jaankaari !
dhnyavaad .........
और यह तब है जब कहा जाता है कि यहां के अधिकतर सांप विषहीन हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
50,000 में से कितने वास्तव ही में विष से मरते है, इसका भी आकलन होना चाहिए क्योंकि माना ये जाता है कि इनमें से अधिकांश shock से मरते हैं न कि विष से.
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