Thursday, June 4, 2009

आज 5 जून है, क्या खास है इस दिन?


5 जून को विश्व भर में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का उपयोग करके युनेप (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम) विश्व भर में पर्यावरणीय चेतना जगाने की कोशिश करता है।

पर्यावरण दिवस को 1972 में मानव पर्यावरण विषय पर स्टोकहोम में हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की याद में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण चेतना और पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत इसी सम्मेलन से मानी जाती है।

इसी सम्मेलन में भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने वह यादगार व्क्तव्य दिया था जिसमें उन्होंने कहा कि गरीबी ही सबसे बड़ा प्रदूषक है। उनका आशय यह था कि विकासशील देशों की पर्यावरणीय समस्याओं का संबंध गरीबी से है, अर्थात, विश्व में संसाधनों और संपत्तियों के असमान वितरण से है। आज उनके इस विचार को टिकाऊ विकास की अवधारणा में शामिल कर लिया गया है। इस अवधारणा के अनुसार वही विकास टिकाऊ हो सकता है जो वर्तमान और आनेवाली पीढ़ियों दोनों में असमानता को दूर कर सकता है।

स्टोकहोम सम्मेलन के बाद ही पर्यावरणीय चिंताएं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रतिष्ठित हो पाईं और राष्ट्रीय सरकारों के स्तर पर पर्यावरणीय समस्याओं के निपटारे के लिए प्रयास किया जाने लगा।

स्टोकहोम सम्मेलन पर्यावरणीय चेतना लाने के लिए किए गए पिछले एक दशक के छिटपुट व्यक्तिगत और संस्थागत प्रयासों की चरम परिणति थी। याद रहे, कि पर्यावरण आंदोलन का आधार ग्रंथ मानी जानेवाली रेचल कारसन की किताब, साइलेंट स्प्रिंग, का प्रकाशन केवल 10 वर्ष पूर्व 1962 में हुआ था। इस किताब में रेचल कार्सन ने दर्शाया था कि खेतों में प्रयोग किए जानेवाले डीडीटी जैसे खतरानक कीटनाशक खाद्य-शृंखला के जरिए मनुष्य के शरीर में भी प्रवेश कर जाते हैं और उसे भी नुकसान पहुंचते हैं।

पर्यावरण दिवस मनाने के पीछे चार उद्देश्य रखे गए हैं। ये हैं –
  1. पर्यावरणीय समस्याओं को एक मानवीय चेहरा प्रदान करना।
  2. लोगों को टिकाऊ और समतापूर्ण विकास के कर्ताधर्ता बनाना और इसके लिए उनके हाथ में असली सत्ता सौंपना।
  3. इस धाराणा को बढ़ावा देना कि पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति लोक-अभिरुचियों को बदलने में समुदाय की केंद्रीय भूमिका होती है।
  4. विभिन्न देशों, उद्योगों, संस्थाओं और व्यक्तियों की साझेदारी को बढ़ावा देना ताकि सभी देश और समुदाय और सभी पीढ़ियां सुरक्षित एवं उत्पादनशील पर्यावरण का आनंद उठा सकें।

हर साल पर्यावरण दिवस के लिए एक खास विषय चुना जाता है और उस पर परिचर्चाएं, गोष्ठियां, मेले, प्रतियोगिताएं, आदि, आदि आयोजित किए जाते हैं, ताकि लोगों में उस विषय के बारे में जागरूकता बढ़ें।

इस वर्ष के पर्यावरण दिवस के लिए जो विषय चुना गया है, वह है –

आपके ग्रह को आपकी जरूरत है – जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए एक हों।

सोचिए कि आपके निजी जीवन में, कार्यलयी परिवेश में, मुहल्ले में, इत्यादि आप इस विषय के बारे में जागरूकता लाने के लिए क्या कर सकते हैं।

स्कूली बच्चे अपने टीचरों की मदद से पृथ्वी को बुखार आ गया है नामक इस नाटक का मंचन कर सकते हैं।

ब्लोगर समुदाय ब्लोगों के जरिए इस विषय पर सूचनापरक पोस्ट प्रकाशित करके पर्यावरण दिवस 2009 को सफल बनाने के लिए योगदान कर सकते हैं।

6 comments:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

आज धरती को पर्यावरण के संरक्षण की अधिक आवश्यकता है- मानव ज़रूरत से अधिक प्रदूषण जो फैला रहा है। पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं॥

ghughutibasuti said...

आपने कहा कि आज पर्यावरण दिवस है सो मैंने सोचा आप किसी पूर्वी देश में रहते हैं। सो आपका परिचय पढा। आप तो अपने अमदाबाद में ही रहते हैं। खुशी हुई। शायद कभी वहाँ आना हुआ तो भेंट हो।
पर्यावरण पर लिखने के लिए आभार।
घुघूती बासूती

Himanshu Pandey said...

पर्यावरणीय संचेतना जागृत करने की बहुत आवश्यकता है इस देश में । पर्यावरण केन्द्रित इस प्रविष्टि का आभार ।

यह भी देखें-सच्चा शरणम्: सभ्यताएँ जंगलों का अनुसरण करती रही हैं

Arvind Mishra said...

समग्र आवश्यक जानकारी -आभार ! मैं तो इसी आयोजन के साथ उम्र बिताता रहा हूँ !
मगर यह केवल रस्म अदायगी नहीं होनी चाहिए !

बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण said...

Mired Images: बात यह है कि कल रात ग्यारह बजे यह पोस्ट पब्लिश किया ताकि सुबह जब पाठक देखें, तो उन्हें यह पोस्ट मिल सके। यही कारण है कि 5 जून वाले पोस्ट की तारीख 4 जून दिखाई दे रही है। लगता है मैंने थोड़ी जल्दबाजी कर दी!

अहमदाबाद में आपसे मिलकर प्रसन्नता होगी। वैसे मैं आपसे अक्सर आपके ब्लोग पर मिलता ही रहता हूं। आपका ब्लोग मेरे पसंदीदा ब्लोगों में से एक है।

admin said...

आइए, हम इसी बहाने अपनी धरती मॉं के लिए कुछ करें।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

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