Saturday, July 25, 2009

सांप

आज नागपंचमी है, भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार। यद्यपि यह त्यौहार सांप जैसे महत्वपूर्ण और खौफनाक कुदरती जीवों के साथ तादात्मय स्थापित करने के इरादे से मनाया जाता है, लेकिन हमारे जैसे कम साक्षर देश में यह त्यौहार सांपों के संबंध में अनेक अंध विश्वास भी फैलाता है। आइए सांपों के संबंध में कुछ सच्ची बातें जानें, जो भी उनके संबंध में फैली अनेक निराधार विश्वासों और कल्पित बातों जितनी ही रोचक हैं।

सांप उत्तेजित करनेवाले और डरावने प्राणी होते हैं। सांपों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया कभी भी उदासीनतापूर्ण नहीं होती, बल्कि उनके विषय में हम और अधिक जानना चाहते हैं।

भारत में 200 प्रकार के सांप पाए जाते हैं, जबकि विश्वभर में 2,500 प्रकार के सांप हैं। भारत में लगभग 50 प्रकार के विषैले सांप हैं, परंतु ये शायद ही कभी मनुष्य के संपर्क में आते हैं क्योंकि ये ऐसे स्थानों में बसते हैं जहां जनसंख्या बहुत कम होती है। अनेक विषैले सांप मनुष्य के लिए घातक नहीं होते, क्योंकि उनके जहर में केवल चूहे, मेंढ़क आदि छोटे जीवों को मारने की क्षमता ही होती है।

हमें चिंतित करनेवाले केवल चार सांप हैं--नाग, करैत, फुर्सा और दबोइया--जो बड़े खतरनाक हैं और मानव बस्तियों के आसपास पाए जाते हैं। गनीमत है कि इन चार मुख्य सांपों का प्रत्येक दंश घातक नही होता। दंश की तीव्रता दंशित व्यक्ति के स्वास्थ्य, उसके शरीर के आकार और शरीर में गए विष की मात्रा आदि पर निर्भर करती है।

सर्पदंश के संबंध में जो रहस्यमयता तथा अधूरी और गलत जानकारी प्रवर्तमान है, उसके परिणामस्वरूप वह एक भयानक और कल्पनातीत घटना बन जाता है। याद रखने योग्य बात यह है कि विषैले सांप के दंश का एकमात्र इलाज प्रतिविष सीरम है जो अस्पतालों में उपलब्ध रहता है। विषैले सांप के दंश से बचने के लिए जो व्यक्ति मंत्रों और जड़ी-बूटियों की शरण में जाता है वह मृत्यु को वरण करता है।

सांपों के विषय में अनेक किंवदंतियां प्रचलित हैं। सबसे अधिक प्रचलित किंवदंति यह है कि सांप बदला लेते हैं। लोग मानते हैं कि यदि आप किसी सांप को मार डालेंगे तो उसकी मादा आपको अवश्य काटेगी। यह सच नहीं है। बदला लेने की भावना सिर्फ मनुष्य में पाई जाती है।

सपेरे ने अपनी बीन को लेकर एक और किंवदंती गढ़ रखी है। तमाशाबीन सोचते हैं कि सांप सपेरे की बीन के स्वरों पर थिरकता है। लेकिन सांप के तो कान ही नहीं होते और वे सुन ही नहीं सकते। नाग का डोलना बीन की गति के प्रति उसकी प्रतिक्रिया है, आवाज के प्रति नहीं।

प्रचलित विश्वास के विपरीत नाग के सिर पर कोई मणि नहीं होता। यदि होता तो सपेरे कंगाल क्यों होते, वे राजा-महाराजा के समान धनवान न हो गए होते?

सांपों को लेकर और भी अनेक किंवदंतियां बढ़ा-चढ़ाकर कही गई हैं, जिनका कोई आधार नहीं। कदाचित सांप विश्व में सर्वाधिक गलत समझे जानेवाले प्राणी हैं। सच तो यह है कि सांप मनुष्यों के सच्चे मित्र हैं जो प्रतिवर्ष अनाज का लगभग 20 प्रतिशत नष्ट करनेवाले और प्लेग जैसी भयंकर बीमारियां फैलानेवाले चूहों को खाकर हमारा बड़ा उपकार करते हैं।

6 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही कहा है आपने.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

ये बताएँ कि अहमदाबाद में नाग पूजा कैसे की जाती है?
साँप पर एक बहुत चर्चित कविता (शायद अज्ञेय की) है, पोस्ट कर सकें तो एक नया पक्ष सामने आए - साहित्यिक सा।

नागपंचमी पर होने वाले दंगलों की तर्ज़ पर ब्लॉगरों का दंगल कैसे हो सकता है? प्रकाश डालें।

P.N. Subramanian said...

सुन्दर ज्ञानवर्धक. आज ही एक हास्यास्पद खबर स्थ्यानीय अखबार में छापी है. एक नागिन ने एक व्यक्ति को ७ बार काटा. वह मारा नहीं. केवल थोडा सा नशा चढ़ता था. नागिन से बचने के लिए उसने गाँव छोड़ दिया और काफी दूर दूसरी जगह बस गया. वहां भी उस नागिन ने पीछा नहीं छोड़ा और अब तक नयी जगह भी ४ बार डस चुकी है.

Vinay said...

जानकारी के लिए आभार!
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1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम

Arvind Mishra said...

अच्छी जानकारी !

Udan Tashtari said...

आभार जानकारी का.

नागपंचमी की शुभकामनाऐं..

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