Sunday, July 12, 2009

मच्छर मारने की नई विधि

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की कीटविज्ञान प्रयोगशाला के डोव बोरोवस्की ने मच्छरों के डिंभकों (लार्वों) को मारने की नई विधि खोजी है।

मच्छर के लार्वे ठहरे पानी में पनपनेवाले क्लोटेला नामक शैवाल का भक्षण करते हैं। बोरोवस्की इस शैवाल के आनुवांशिकी में परिवर्तन करके उसमें एक नए जीन का प्रत्यारोपण करने में सफल हुए हैं जो शैवाल के शरीर में मच्छरों के लिए घातक हारमोन बनाता है। यह हारमोन डिंभकों के पाचन क्रिया को निष्प्रभावी बना देता है, जिससे वे दो-तीन दिनों में मर जाते हैं।

यह विधि पर्यावरण की दृष्टि से भी अत्यंत साधु है क्योंकि इसमें डीडीटी जैसे पर्यावरणीय प्रदूषण फैलाने वाले कीटनाशकों का उपयोग कम किया जा सकता है। शैवाल अपने-आप बढ़ता जाता है इसलिए उससे अतिरिक्त खर्चा भी नहीं आता।

मच्छर से फैलनेवाला मलेरिया हर साल 1 करोड़ मनुष्यों को मारता है। इस तरह मच्छर मनुष्य का सबसे घातक दुश्मन है।

7 comments:

निर्मला कपिला said...

बहुत बडिया जानकारी आभार्

श्यामल सुमन said...

काश यह आमलोगों जल्द से जल्द सुलभ हो सके। कभी पीड़ित होकर लिखा था कि-

जीव मारना पाप है कहते है कहते हैं सब लोग।
मच्छड़ का फिर क्या करें फैलाता जो रोग।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया जानकारी शुक्रिया.

P.N. Subramanian said...

महत्वपूर्ण जानकारी. आभार.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बढिया जानकारी......आभार

संजय बेंगाणी said...

देखें कौन जीतता है. क्यों की विकासवाद के तहत हो सकता है अपना अस्तित्त्व टिकाये रखने की क्षमता मच्छर महाशय विकसीत कर ले...

admin said...

बहुत ही उपयोगी विधि।

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